White पल्लव की डायरी अरे महंगाई तू पैदा खेतो में न | हिंदी कविता

"White पल्लव की डायरी अरे महंगाई तू पैदा खेतो में ना हुयी ना सूखा पड़ा ना ओला गिरा सफ्लाई में ना आयी कमी फिर डायन तेरे डसने की अदावत कहॉ से आई सुना है तू पेशेवरों की बन गयीं डार्लिग कमीशन खाकर तू आसमान पर चढ़ी सियासतों के हाथों में तेरी नब्ज इतराकर तू भी गरीबो को मिटाने चली खिलाड़ियों के हाथों में आकर सताने की आदत तेरी पड़ी है खा गयी जनता की सारी मेहनत सत्ता की तू चेरी बनी है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव""

 White पल्लव की डायरी
अरे महंगाई तू पैदा खेतो में ना हुयी
ना सूखा पड़ा ना ओला गिरा
सफ्लाई में ना आयी कमी
फिर डायन तेरे डसने की
 अदावत कहॉ से आई
सुना है तू पेशेवरों की बन गयीं डार्लिग
कमीशन खाकर तू आसमान पर चढ़ी
सियासतों के हाथों में तेरी नब्ज
इतराकर तू भी गरीबो को मिटाने चली
खिलाड़ियों के हाथों में आकर
सताने की आदत तेरी पड़ी है
खा गयी जनता की सारी मेहनत
सत्ता की तू चेरी बनी है
                                         प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

White पल्लव की डायरी अरे महंगाई तू पैदा खेतो में ना हुयी ना सूखा पड़ा ना ओला गिरा सफ्लाई में ना आयी कमी फिर डायन तेरे डसने की अदावत कहॉ से आई सुना है तू पेशेवरों की बन गयीं डार्लिग कमीशन खाकर तू आसमान पर चढ़ी सियासतों के हाथों में तेरी नब्ज इतराकर तू भी गरीबो को मिटाने चली खिलाड़ियों के हाथों में आकर सताने की आदत तेरी पड़ी है खा गयी जनता की सारी मेहनत सत्ता की तू चेरी बनी है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#love_shayari कमीशन खाकर तू,आसमान पर चढ़ी है
#nojotohindi

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