मन बंजारा सा दिल आवारा सा, मेरी चुनरी अटक गई है एक छोटे से कांटे मैं
हम तो कह दे गुलाब खुद आकर अटका है कांटों में
कांटों में गुलाब गुलाब पर भंवरा घुन घुन कर रहा कानों में
तेरे भरोसे यह भवरा आकर बैठा कांटों में
मन बंजारा दिल आवारा एक प्रीत जगी है सांसों में
मन उधार मन दिल कर्जदार है
तू आकर मुझे आमिर करा दे
वरना जीवन कंगाल है
#banjara