मै बातों का कबाड़ ढोता हूं
मैं बातों का बड़ा कबाड़ी हूं।
कुछ तुच्छ से हालातों के
किस्सों का व्यापारी हूं।
मुफ्त ही मिल जाती है, बाते,
बिना बातों के बाजार जाए ही ।
कोई उधार में सुना देता है
उसका दाम बिना चुकाए ही ।
कभी कभी तो बिनना ही पड़ता है
बिना दाम लगाए ही ।
दे देते है भीख मुझे
बिना तौल कराए ही ।
अक्सर बुला लेते है लोग
मैं हरदम खाली ही रहता हु ।
पर,
मैं उसी दिन व्यस्त रहता हु
जिस दिन कोई बात नही आती,
या फिर बातों से उड़ती हुई
लात नहीं आती।।
©Vimal Gupta
#Alive