ढूढ़ता फिरता हूँ, हर शाम उस चेहरे को और शाम ढलते ह

"ढूढ़ता फिरता हूँ, हर शाम उस चेहरे को और शाम ढलते ही, उसे इस दिल ❤मे छिपा लेता हूँ।। ©राईटर "तन्हा" रंजीत"

 ढूढ़ता फिरता हूँ, हर शाम उस चेहरे को
और शाम ढलते ही,  उसे इस दिल ❤मे छिपा लेता हूँ।।

©राईटर "तन्हा" रंजीत

ढूढ़ता फिरता हूँ, हर शाम उस चेहरे को और शाम ढलते ही, उसे इस दिल ❤मे छिपा लेता हूँ।। ©राईटर "तन्हा" रंजीत

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