देखती हूँ इन खिड़कियों से अपने हिस्से का आसमान अब ब | हिंदी कविता Video

"देखती हूँ इन खिड़कियों से अपने हिस्से का आसमान अब बंद कमरे में आसमान सिमट आया है। जब अलसाई सी धूप उतरती धीरे धीरे है हर श्रृंगार महक जाता हैं मेरे आँगन में। ©kalyani tiwari "

देखती हूँ इन खिड़कियों से अपने हिस्से का आसमान अब बंद कमरे में आसमान सिमट आया है। जब अलसाई सी धूप उतरती धीरे धीरे है हर श्रृंगार महक जाता हैं मेरे आँगन में। ©kalyani tiwari

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