थक गयी थी अंगुलियां जिन्दगी के हिसाब में तुने आर | हिंदी शायरी

"थक गयी थी अंगुलियां जिन्दगी के हिसाब में तुने आराम का मोका भी दिया तो मोत के साये में।। ~pran~"

 थक गयी थी अंगुलियां जिन्दगी के हिसाब  में 
तुने आराम का मोका भी दिया तो मोत के साये में।। 

~pran~

थक गयी थी अंगुलियां जिन्दगी के हिसाब में तुने आराम का मोका भी दिया तो मोत के साये में।। ~pran~

#हिसाब

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