White बचपन की बातें !
सुनाओ कोई फिर से बचपन की बातें,
कोई लब पे लाओ लड़कपन की बातें।
दुआएँ बड़ों की मिलती थी सबको,
नाजो-अदा न उठानी थी हमको ।
कागज की कश्ती वो बारिश का पानी,
आओ करें उस जमाने की बातें ।
कोई लब पे लाओ लड़कपन की बातें,
शोहरत ये दौलत मेरी तू ले लो l
आँचल वो माँ का फिर से ओढ़ा दो ।
नई थी जमीं वो, नया आसमां था
गुम हो चुके उन लम्हों की बातें ।
कोई लब पे लाओ लड़कपन की बातें l
इमली की चटनी वो बेसन की रोटी,
माँयें सभी में थी संस्कार बोतीं ।
आम के टिकोरे,हाथों में सुतुही,
नमक वो लगाकर खाने की बातें ।
कोई लब पे लाओ लड़कपन की बातें,
सुनाओ कोई फिर से बचपन की बातें ।
©बेजुबान शायर shivkumar
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सुनाओ कोई फिर से बचपन की बातें,
कोई लब पे लाओ लड़कपन की बातें।