ख्वाबों को कागजों पर उतारता हूं मैं इसी कदर खुद को

"ख्वाबों को कागजों पर उतारता हूं मैं इसी कदर खुद को संभालता हूं मैं। भार इनका मुझसे संभाला नही जाता सो नेकियों को दरिया में डालता हूं मैं। मिट्टी के कच्चे बर्तन हैं सारे आदमी हर सुबह खुद को संवारता हूं मैं। ©Ashutosh Kumar"

 ख्वाबों को कागजों पर उतारता हूं मैं
इसी कदर खुद को संभालता हूं मैं।
भार इनका मुझसे संभाला नही जाता
सो नेकियों को दरिया में डालता हूं मैं।
मिट्टी के कच्चे बर्तन हैं सारे आदमी
हर सुबह खुद को संवारता हूं मैं।

©Ashutosh Kumar

ख्वाबों को कागजों पर उतारता हूं मैं इसी कदर खुद को संभालता हूं मैं। भार इनका मुझसे संभाला नही जाता सो नेकियों को दरिया में डालता हूं मैं। मिट्टी के कच्चे बर्तन हैं सारे आदमी हर सुबह खुद को संवारता हूं मैं। ©Ashutosh Kumar

#ख्वाब #मैं #दरिया

#Rose

People who shared love close

More like this

Trending Topic