फिर से कर कोई बहाना चाहता हूं
मैं तुझे अपना बनाना चाहता हूं
आंखों में हैं जम गए जो अश्रु मेरे
गोद में रख सर बहाना चाहता हूं
कविताएं तुमपर लिखी और सो गया
ख्वाब में, पर सब सुनाना चाहता हूं
हिचकियां मुझको नहीं आती है, क्यों?
बस एक घड़ी, पर याद आना चाहता हूं
फिर सात पग और सात जन्मों तक मैं तेरा
झूठा ही, मगर सपना सजाना चाहता हूं...
©Umang Agrawal
मैं तुझे अपना बनाना चाहता हूं...
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