Nojoto कुछ तो टूटा मुझमें, कुछ तो आंखों से छलका है | हिंदी Poetry

"Nojoto कुछ तो टूटा मुझमें, कुछ तो आंखों से छलका है। राहत के बूंदों से मानो, मन कुछ तो हुआ हल्का है।। परंतु अपनी नाकामी को, कैसे छुपाऊं मैं ?? पढ़े लिखे होने का प्रमाण, कहां से लाऊं मैं ?? या तो मैं या मुझे, न समझ सका है दुनियां कुछ भी है पर है ये, शायद मेरी ही कमियां अपनी कमियों को, कैसे दूर भगाऊं मैं ?? पढ़े लिखे होने का प्रमाण, कहां से लाऊं मैं ?? मैं और मेरा जिद्दी मन, चाहता तो है छूना गगन ।। आलोचनाओं के बादल को, पंरतु नहीं कर सकता सहन।। अपने भीतर सहनशीलता, कैसे उपजाऊं मैं ?? पढ़े लिखे होने का प्रमाण, कहां से लाऊं मैं ?? ©Rj_Rajesh"

 Nojoto कुछ तो टूटा मुझमें,
कुछ तो आंखों से छलका है।
राहत के बूंदों से मानो,
मन कुछ तो हुआ हल्का है।।

परंतु अपनी नाकामी को, 
कैसे छुपाऊं मैं ??
पढ़े लिखे होने का प्रमाण,
कहां से लाऊं मैं ??

या तो मैं या मुझे, न समझ सका है दुनियां
कुछ भी है पर है ये, शायद मेरी ही कमियां

अपनी कमियों को,
कैसे दूर भगाऊं मैं ??
पढ़े लिखे होने का प्रमाण,
कहां से लाऊं मैं ??

मैं और मेरा जिद्दी मन,
चाहता तो है छूना गगन ।।
आलोचनाओं के बादल को,
पंरतु नहीं कर सकता सहन।।

अपने भीतर सहनशीलता,
कैसे उपजाऊं मैं ??
पढ़े लिखे होने का प्रमाण,
कहां से लाऊं मैं ??

©Rj_Rajesh

Nojoto कुछ तो टूटा मुझमें, कुछ तो आंखों से छलका है। राहत के बूंदों से मानो, मन कुछ तो हुआ हल्का है।। परंतु अपनी नाकामी को, कैसे छुपाऊं मैं ?? पढ़े लिखे होने का प्रमाण, कहां से लाऊं मैं ?? या तो मैं या मुझे, न समझ सका है दुनियां कुछ भी है पर है ये, शायद मेरी ही कमियां अपनी कमियों को, कैसे दूर भगाऊं मैं ?? पढ़े लिखे होने का प्रमाण, कहां से लाऊं मैं ?? मैं और मेरा जिद्दी मन, चाहता तो है छूना गगन ।। आलोचनाओं के बादल को, पंरतु नहीं कर सकता सहन।। अपने भीतर सहनशीलता, कैसे उपजाऊं मैं ?? पढ़े लिखे होने का प्रमाण, कहां से लाऊं मैं ?? ©Rj_Rajesh

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