एक समय था, जब हम बच्चे थे,
हमें नींद न आती थी अकेले,
मां के आंचल तले सोते थे..
खुले जो आंख, मां न हो पास,
तो फूट फूट के रोते थे.
स्कूल से घर आए, नज़रे ढूंढे मां को,
कोई काम न उनसे but देख उन्हें खुश होते थे..
पर अब
अब हम बड़े हो गए,
मां का प्यार, मां की लोरिया, मां का आंचल,
पीछे छोड़ गए.
girlfriend की बातें, बीवी के प्यार में,
मां से मुंह मोड़ गए..
रेंग के चलते थे, मां ने बड़ा किया,
आए न कोई मुसीबत, हमसे आगे
मां ने खुद को खड़ा किया,
और हम पूछ बैठे, तुमने क्या एहसान किया...
चोट लगती, बीमार होते हम, रोती थी मां...
खाना हो कम तो भूखी सोती थी मां...
हमारी खुशी में हमसे भी ज्यादा, खुश होती थी मां...
अब समझ आता है कितना बड़ा गुनाह किया,
ईश्वर थे हमारे साथ हमने नज़रे चुरा लिया,
अपना दूध पिला, कलेजे से लगा जिसने काबिल बनाया,
उसे रुला दिया..🤐🥺
@अतुल चन्द्र
मा...
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