शिकायते किससे करे, फरियादे कौन सुनेगा,
अगर हम ही न रहे तो हमारी बातें कौन करेगा,
यहाँ किसी को फर्क नहीं पड़ता किसी के लौट जाने से,
अगर हम भी भूल जाए तो फिर यादें कौन रखेगा।
मौत तो बस बहाना है खुद को खामोश करने का,
जब दिल ही न हो तो सासें कौन भरेगा।
बात बस इतनी सी है की वो बदलना चाहता है मुझे,
अगर बदल गई मुहब्बत तो विश्वास कौन करेगा,
दर्द में रहना सुकून देता है मुझे,
अगर ये भी न सह सका तो इंतजार कौन करेगा,
वादा, वफा, तहजीब, इश्क, इबादत सब अलग चीजें है,
सबको बेवफा कह दिया तो प्यार कौन करेगा,
बाखुदा मुझे मौत से डर नहीं लगता,
मगर में ही मर गया तो फिर आहें कौन भरेगा,
चलो जैसा भी हूं रहने दो मुझे ,
अगर में भी बदल गया तो फिर दुआएं कौन करेगा।
©Pawan Singh Prajapati
शिकायते किससे करे, फरियादे कौन सुनेगा,
अगर हम ही न रहे तो हमारी बातें कौन करेगा,
यहाँ किसी को फर्क नहीं पड़ता किसी के लौट जाने से,
अगर हम भी भूल जाए तो फिर यादें कौन रखेगा।
मौत तो बस बहाना है खुद को खामोश करने का,
जब दिल ही न हो तो सासें कौन भरेगा।