तेरे एहसासों की बारिश में भींग जाने को
जी चाहता है।
एक एक बूंद में तेरी आवाज सुनूं
न अपनी कुछ कहूँ
न दुनिया की कुछ सुनूँ
आज ऐसी गुलाब की कली हो जाने
को जी चाहता है।
न गिले न शिकवे हों
न हो कोई गैर न कोई अपने हों
एक ऐसा रिश्ता बनाने को जी चाहता है।
इस दुनिया से परे हो जाऊं
सारे दर्द खुद ही सहे जाऊं
किसी के दर्द का मरहम बनने को
आज जी चाहता है।
....satyaprabha💕.....my life✍️
©Pratibha Tiwari(smile)🙂
#OneSeason