तारीखे लिखकर मिटा रही हूं
वक़्त कटता ही नहीं फिर भी
वक़्त के पहलुओं में वक़्त लूटा
रही हूं
इस कोरे पन्ने पर लिखने की हिम्मत
नहीं फिर भी दो शब्द लिखने के लिए
हिम्मत जुटा रही हूं
जब लिखते लिखते आंखो से छलक
जाता है आंसू तो यूं पलके मूंदकर
पलको तले आंसुओ को दबा रही हूं
इंतजार की घड़ी खत्म हो जाएगी
वक़्त बदल जाएगा
ये कहकर दिल को तसल्ली दिला
रही हूं
तारीखे लिखकर मिटा रही हूं
#तारीखे लिखकर मिटा रही हूं...
#राखी कुमारी#