कितने दर्द में होगी वो जो अब हर एक बात से घबराती है
कभी मजबूत थी सोच उनकी आज हर एक बात पर आँख भर आती है
जमाना हो गया उनको मुस्कराए हुए
वो खिलखिला चेहरा वो हँसी बताए हुए
ना जाने कौन कौन से दर्द ले दिल में बैठी है
अब भरोसा नहीं उन्हें ज़िन्दगी पर अब खुद को वक़्त के हवाले कर बैठी है
कोशिश की मैंने बहुत पर मैं उन्हें उस दर्द से ना निकाल पाया
सोचा था की ख़ुशी के लम्हें दूंगा उन्हें पर मैं उस में भी सफल ना हो पाया
दर्द दुनिया में इतने ना किसी को दे
क्योंकि माँ वो लफ्ज है जिसकी आहट हर किसी के जीवन को सफल कर दे ।।
©Ravinder Sharma
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