बैठा तो तेरा नाम लिखना चाहा फिर कलम ना चली और याद आया , कुछ लिखने को तूने मना किया था लेकिन मैं शायर मजबूर कब आदत से बाज़ आया। तेरे चेहरे का नूर कलम से कागज़ तक ना उतार पाया फिर सोचा बढ़ चलु आगे ना जाने क्यों आगे भी सब पीछे छूटा नज़र आया ॥
©Saurabh Raghav
#Valley