खुदा है आज मेरे साथ मेरा क़ुरान बाकी है
मैं झूठा हूं तो सुन ले तू मेरा ईमान बाकी है
अगर मरने को होता हूं तो रूह परवाज़ ना होती
मेरे दिल में अगर तू है तो मेरी जान बाकी है
अंधेरा है मेरे दिल की जमीं पर या मेरे मौला
सकूं दिल में तभी होगा मेरी अज़ान बाकी है
दिलों में वसवसे डालो खंजर भी चलाओ तुम
अजी हक़ पर नहीं हो तुम अभी फ़रमान बाकी है
करो तुम जुल्म कितना ही मगर ये याद रख लेना
अभी शमसान बाकी है या कब्रिस्तान बाकी है
©Irfan Saeed
अभी शमसान बाकी है या कब्रिस्तान बाकी है
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