जलहरण घनाक्षरी छंद (8,8,8,8) काम से मैं काम रखूँ | हिंदी कविता

"जलहरण घनाक्षरी छंद (8,8,8,8) काम से मैं काम रखूँ प्राण निज धाम रखूँ, आप करते हैं क्या जी मुझको न मतलब। आप चिढ़ते हैं चिढ़ें आपका ये काम यदि, जान लेना किन्तु मेरे साथ में है ख़ुद रब।। रुपया ज़रूरी मीत मानता मैं ज़िन्दगी में, किन्तु यार रुपयों से मिलता नहीं है सब। चाहते हो यदि मिले साथ तुमको है मेरा, सोच लेना आपने है दिया साथ कब-कब।। ©सतीश तिवारी 'सरस'"

 जलहरण घनाक्षरी छंद (8,8,8,8)

काम से मैं काम रखूँ प्राण निज धाम रखूँ,
आप करते हैं क्या जी मुझको न मतलब।
आप चिढ़ते हैं चिढ़ें आपका ये काम यदि,
जान लेना किन्तु मेरे साथ में है ख़ुद रब।।
रुपया ज़रूरी मीत मानता मैं ज़िन्दगी में,
किन्तु यार रुपयों से मिलता नहीं है सब।
चाहते हो यदि मिले साथ तुमको है मेरा,
सोच लेना आपने है दिया साथ कब-कब।।

©सतीश तिवारी 'सरस'

जलहरण घनाक्षरी छंद (8,8,8,8) काम से मैं काम रखूँ प्राण निज धाम रखूँ, आप करते हैं क्या जी मुझको न मतलब। आप चिढ़ते हैं चिढ़ें आपका ये काम यदि, जान लेना किन्तु मेरे साथ में है ख़ुद रब।। रुपया ज़रूरी मीत मानता मैं ज़िन्दगी में, किन्तु यार रुपयों से मिलता नहीं है सब। चाहते हो यदि मिले साथ तुमको है मेरा, सोच लेना आपने है दिया साथ कब-कब।। ©सतीश तिवारी 'सरस'

#यूँ_ही_बैठे_ठाले

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