"छोटू ऐसा नाम जब भी होटल पर जाता सुनने को मिलता,
वह चाय, समोसे इधर उधर सबको देता फिरता,
मजबूरिया इंसान को क्या क्या नही करवाती है।
मजबूरी ही से जनाब कुछ ख्वाहिशे अंदर ही मर
जाती हैं।"
छोटू ऐसा नाम जब भी होटल पर जाता सुनने को मिलता,
वह चाय, समोसे इधर उधर सबको देता फिरता,
मजबूरिया इंसान को क्या क्या नही करवाती है।
मजबूरी ही से जनाब कुछ ख्वाहिशे अंदर ही मर
जाती हैं।