सुकुन की तालाश में, ये क्या कर बैठे । गुश्ताख दिल | हिंदी शायरी

"सुकुन की तालाश में, ये क्या कर बैठे । गुश्ताख दिल, फिर से उसी को याद कर बैठे ।"

 सुकुन की तालाश में, ये क्या कर बैठे ।

गुश्ताख दिल, फिर से उसी को याद कर बैठे ।

सुकुन की तालाश में, ये क्या कर बैठे । गुश्ताख दिल, फिर से उसी को याद कर बैठे ।

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