कितना मजबूत कर रखा हैं उसने अपने हाथों को बात कुछ | हिंदी शायरी

"कितना मजबूत कर रखा हैं उसने अपने हाथों को बात कुछ युं हैं,बात ही नहीं करती वो रातों को...¡ सुना हैं और भी थे हमसे बढ़कर हमसे बेहतर भी हां शायद मान बैठे हैं मियां उनकी हिं बातों को..¡! ©battameez kalam"

 कितना मजबूत कर रखा हैं उसने अपने हाथों को
बात कुछ युं हैं,बात ही नहीं करती वो रातों को...¡
सुना हैं और भी थे हमसे बढ़कर हमसे बेहतर भी
हां शायद मान बैठे हैं मियां उनकी हिं बातों को..¡!

©battameez kalam

कितना मजबूत कर रखा हैं उसने अपने हाथों को बात कुछ युं हैं,बात ही नहीं करती वो रातों को...¡ सुना हैं और भी थे हमसे बढ़कर हमसे बेहतर भी हां शायद मान बैठे हैं मियां उनकी हिं बातों को..¡! ©battameez kalam

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