भाग 2
आज-तक जो तूने किया उसमे तू सफल नहीं।
विफलता में धीरे-धीरे उम्र तेरी ढल रही।
गिरा है तू मरा नहीं तेरी साँसे अब भी चल रही।
तेरी ऐसी हरकतों को देख चींटी अपनी आँखें मल रही।
जिंदगी होती ऊपर नीचे इसमें कुछ भी समतल नहीं।
तुझे लगता तेरी सारी कोशिशें विफल रही।
तुने की मेहनत लेकिन मिला उसका फल नहीं।
इन बातो में मालूम पड़ता कोई बल नहीं।
समय के साथ देख पहाड़ो की बर्फ भी पिघल रही।
©Pavan bhoyar
शहजादा भाग 2