कहीं रोशनी कहीं अंधकार क्यूं है? अंधकार के बीच रोश | हिंदी Shayari

"कहीं रोशनी कहीं अंधकार क्यूं है? अंधकार के बीच रोशनी देख खुश हो जाऊं? या फिर यह सोचूं..... कि रोशनी के होते हुए अंधकार क्यूं हैं? समझ नहीं आता कि अच्छा होना बुरा है या बुरा होना अच्छा है? समझ ही नहीं आती जिंदगी मुझे कभी मुझे सिखाया जाता है... "किस बात का डर? निडर बनो" और कभी कहते हैं.... "डरना जरूरी है।" कहां डरना है कहां नहीं? कहां अच्छा बनना है कहां बुरा? बहुत rules है यार.. हर कदम पर रंग बदल कर नहीं चल सकती मैं, अब तो यही लगता है अच्छा होना ही बुरा है sorry, इतनी अच्छी नहीं बन सकती मैं। ©Sakhi Rawat"

 कहीं रोशनी कहीं अंधकार क्यूं है?
अंधकार के बीच रोशनी देख खुश हो जाऊं?
या फिर यह सोचूं.....
कि रोशनी के होते हुए अंधकार क्यूं हैं?
समझ नहीं आता कि अच्छा होना बुरा है 
या बुरा होना अच्छा है?
समझ ही नहीं आती जिंदगी मुझे
कभी मुझे सिखाया जाता है...
"किस बात का डर? निडर बनो"
और कभी कहते हैं....
"डरना जरूरी है।"
कहां डरना है कहां नहीं?
 कहां अच्छा बनना है कहां बुरा? 
बहुत rules है यार..
हर कदम पर रंग बदल कर नहीं चल सकती मैं,
अब तो यही लगता है अच्छा होना ही बुरा है
 sorry, इतनी अच्छी नहीं बन सकती मैं।

©Sakhi Rawat

कहीं रोशनी कहीं अंधकार क्यूं है? अंधकार के बीच रोशनी देख खुश हो जाऊं? या फिर यह सोचूं..... कि रोशनी के होते हुए अंधकार क्यूं हैं? समझ नहीं आता कि अच्छा होना बुरा है या बुरा होना अच्छा है? समझ ही नहीं आती जिंदगी मुझे कभी मुझे सिखाया जाता है... "किस बात का डर? निडर बनो" और कभी कहते हैं.... "डरना जरूरी है।" कहां डरना है कहां नहीं? कहां अच्छा बनना है कहां बुरा? बहुत rules है यार.. हर कदम पर रंग बदल कर नहीं चल सकती मैं, अब तो यही लगता है अच्छा होना ही बुरा है sorry, इतनी अच्छी नहीं बन सकती मैं। ©Sakhi Rawat

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