नज़रों में हर वक्त तेरा अक्स रहता है।
हर रोज रुलाकर खुद निखरता है।
क्यों पाला है गुमान तुमने इस दगाबाज रूप पर
देना जाए तुझे भी दग़ा यह सोच के दिल डरता है।
कुछ खुल के बता आने की तेरी ख्वाइशें।
ज़िद्दी दिल बेसब्री से इन्तजार करता है।
बड़ी उम्मीद पाले हैं तेरे आने के ख्याल से।
डर है यह ख्याल आत्मदाह कर सकता है।
तू दर्द की वह दवा जो देती है दर्द
जब आता है जुबां पर नाम दिल आहें भरता है।
©SANAM.Raj
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