उसके पैरों में पायल नहीं है
ये उसकी हंसी की खनक है।
उसको बोलो की चेहरे से पर्दा तो उठाओ
उसकी गली में आज अंधेरा बहोत है।
पीछे से आकर मेरी आंखों को मूंदा है तूने ही
मैं पहचानता हूं तेरी खुशबू भी, ये तेरी ही महक है।
बिन मौसम की बारिश यूं ही नहीं हुई आज
ये काली घटाएं तेरी खुली जुल्फ़ों का असर है।
उसके पैरों में पायल नहीं है
ये उसकी हंसी की खनक है।
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