वक्त वक्त की बात है
जो ख्वाबों में है
सामने हुआ करती थी।
क्या बदला? मैं!
क्या बदली? वो!
नहीं।
तुम्हारी ज़रूरत
तुम्हारी चाहत
जिसमें हम नहीं थे।
साथ सफर के
खत्म पगदंडी थी?
नहीं।
अलग मंजिल थे
सफर अलग हुई
साथ हम नहीं थे।
क्या मिला?
धन और दौलत
शानो-शौकत
पर जिन्दगी नहीं थी।
ऐ ज़िन्दगी!
तुमसे यह उम्मीद नहीं थी।
©नंदन.
#Life