अपने ख्वाबों को तोड़कर, अपनों की मुस्कुराहट कमाता | हिंदी शायरी

"अपने ख्वाबों को तोड़कर, अपनों की मुस्कुराहट कमाता हूं... खुद का फर्ज समझकर, मैं रिश्तों की बुनियाद जमाता हूं... @राहुल_जज़्बाती ©जज़्बाती कलम"

 अपने ख्वाबों को तोड़कर,
अपनों की मुस्कुराहट कमाता हूं...
खुद का फर्ज समझकर,
मैं रिश्तों की बुनियाद जमाता हूं...

              @राहुल_जज़्बाती

©जज़्बाती कलम

अपने ख्वाबों को तोड़कर, अपनों की मुस्कुराहट कमाता हूं... खुद का फर्ज समझकर, मैं रिश्तों की बुनियाद जमाता हूं... @राहुल_जज़्बाती ©जज़्बाती कलम

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