बुरा जो देखने में गया बुरा ना मिलया कोई
नाम जो जग मे उसका लिया
और जिक्र जो मेने उसका किया
सब सोचा विपरीत होय
अब कानों में इतना सहन नहीं
मेरा इस छल से होगा मरण कहीं
वो कलाकार धोखों में,
मुझे अंधकार मे रख कर
मेरा विश्वास आखिरी छल कर
मेरी नींदों मे ज़हर यु भरकर
खुद फुलवारी में सोय
©Shubham joshi
#FallAutumn