White क्या लिखा है क्या लिखुंगा और क्या लिखता हूं मै,
शब्दों से जो दिख रहा हुं बस वही दिखता हूं मैं,
ना पढ़े साहित्य मैने ना पढ़ी कोई पोथियां,
अब तलक जितनी पढ़ी थीं निकली सारी थोथियाँ,
जीने का मतलब सिखाती ये किताबें मोटियां,
क्या करूं पढ़कर इन्हें गर मिल ना पाएं रोटियां,
क्या लिखा है क्या लिखुंगा और क्या लिखता हूं मै,
अब तलक जितना पढ़ा था सब किताबी ज्ञान था,
असली दुनिया में तो मुझसा बस मैं ही अज्ञान था,
झूठ को सच मान लेता ये यहां कानून है,
सच को सच्चाई से कहना जैसे कर दिया खून है,
क्या लिखा है क्या लिखुंगा और क्या लिखता हूं मै,
अब इलाज के नाम पे वो लेते मोटी हैं रकम,
पट्टी तो कर देते लेकिन नोटों का देते ज़ख्म,
है अगर तुम में रईसी तुम में है पैसे का दम,
तब तो जानो तुम हो जिंदा वरना समझो हो खतम,
क्या लिखा है क्या लिखुंगा और क्या लिखता हूं मै,
शब्दों से जो दिख रहा हुं बस वही दिखता हूं मैं,
©Pankaj Pahwa
#Thinking क्या लिखूंगा