क्या मौसम हैं चल कहीं दूर निकल जाये, इन वादियों स | हिंदी Poetry

"क्या मौसम हैं चल कहीं दूर निकल जाये, इन वादियों सै चल कहीं दूर निकल जाएं।। फिर लौट कर कभी ना आये, अपना ज़हां हम खुद ही बनाये। तपता है दिन तपती है राते, सकून की तलाश हम ना झुलस जाये। चल कहीं दूर, निकल जाये अपना आशियाना कहीं दूर बनाये बदली निगाहें हमे ढूंंढ ना पाये चल कहीं दूर निकल जाये।। © Usha Rani"

 क्या मौसम हैं 
चल कहीं दूर निकल जाये,
इन वादियों सै
चल कहीं दूर निकल जाएं।।
फिर लौट कर कभी ना आये,
अपना ज़हां
हम खुद ही बनाये।
तपता है दिन
तपती है राते,
सकून की तलाश 
हम ना झुलस जाये।
चल कहीं दूर, निकल जाये
अपना आशियाना
कहीं दूर बनाये
बदली निगाहें हमे ढूंंढ ना पाये
चल कहीं दूर निकल जाये।।

©  Usha Rani

क्या मौसम हैं चल कहीं दूर निकल जाये, इन वादियों सै चल कहीं दूर निकल जाएं।। फिर लौट कर कभी ना आये, अपना ज़हां हम खुद ही बनाये। तपता है दिन तपती है राते, सकून की तलाश हम ना झुलस जाये। चल कहीं दूर, निकल जाये अपना आशियाना कहीं दूर बनाये बदली निगाहें हमे ढूंंढ ना पाये चल कहीं दूर निकल जाये।। © Usha Rani

शायरी

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