White चार दीवारी से नहीं बनता घर
अपनों के प्यार के बिना
अधूरा है हर घर
बच्चों की किलकारी सी ही तो
महकता है घर
बुज़ुर्गो के आशीर्वाद से
फलता है घर
माँ का दुलार
पिता की फटकार से
मज़बूत बनता है घर
भाई बहन से लड़ना झगड़ना
रूठाना मानना से
खिलता है घर
थोड़े से आँसू थोड़ी सी हँसी से
थोड़े से गम थोड़ी सी खुशी
बस इस से ही तो
खड़ा रहता है घर।
( चाँदनी ) sangeeta verma
©Sangeeta Verma
#घर # कविता