तभी मेरी नज़र, घडी पर पड़ी रात के तकरीबन दो,बज रहे | हिंदी विचार Video

"तभी मेरी नज़र, घडी पर पड़ी रात के तकरीबन दो,बज रहे थे।पर मेरी आँखो मे निंद की एक झलक भी,न थी मै देर रात, जागती रही।और सोचती रही कि सचमुच मेरी तरह का दर्द सभी, को होता होगा। भगवान ना करे मेरे जैसै नसीब, और किसी के बिगङे। ©Jyotithakur Thakur "

तभी मेरी नज़र, घडी पर पड़ी रात के तकरीबन दो,बज रहे थे।पर मेरी आँखो मे निंद की एक झलक भी,न थी मै देर रात, जागती रही।और सोचती रही कि सचमुच मेरी तरह का दर्द सभी, को होता होगा। भगवान ना करे मेरे जैसै नसीब, और किसी के बिगङे। ©Jyotithakur Thakur

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