ऐसा तो नहीं है कि मुझे बात करना नहीं आता,
ऐसा भी नहीं है कि मैं किसी से बात करना नहीं चाहता।
कोई पूछे तो सही मुझसे आकर इक दफा: "क्या अब उसकी याद नहीं आती...!?"
तो मैं बताऊं उसे "शमी": इक उसी का ख़्याल है, जो मेरे ज़हन से नहीं जाता।
©" शमी सतीश " (Satish Girotiya)
ख्याल