सांसों की आहटें से उठे पलकें, झुकी फिर भी क्यों लग | हिंदी शायरी

"सांसों की आहटें से उठे पलकें, झुकी फिर भी क्यों लगती है वो दोस्ताना संबंध में बधे तेरी हाथे... गरमाहटे पैदा क्यों करती हैं ©Dev Rishi"

 सांसों की आहटें से उठे पलकें,
झुकी फिर भी क्यों लगती है 
वो दोस्ताना संबंध में बधे तेरी हाथे...
गरमाहटे पैदा क्यों करती हैं

©Dev Rishi

सांसों की आहटें से उठे पलकें, झुकी फिर भी क्यों लगती है वो दोस्ताना संबंध में बधे तेरी हाथे... गरमाहटे पैदा क्यों करती हैं ©Dev Rishi

दोस्ती शायरी

People who shared love close

More like this

Trending Topic