"औरत चाहे तो श्रृंगार करे,सृजन करे,और संहार करे
वो शक्ति है
वो शांति है
वो धैर्य है
वो क्रोध की ज्वालामुखी है
वो ममता का महासागर है
वो करुणा की वसुंधरा है
वो अभिलाषाओं का आसमान है
वो स्त्री है, वो प्रकृति है
वो जीवन दायिनी है।।
नमन नारी को वो है तो ये ब्रह्मांड है
©Shweta Mairav
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