मै लाल धागे से बंधा वो काले धागे की चाह रखती है मै | हिंदी Shayari

"मै लाल धागे से बंधा वो काले धागे की चाह रखती है मै उसके दीदार को तरस रहा और वो चेहरा छुपाए रखती है ये मसला इश्क़ का नहीं धर्मों का है वरना चाहत तो वो भी हमसे बेशुमार रखती है l ©Story of Life"

 मै लाल धागे से बंधा
वो काले धागे की चाह रखती है
मै उसके दीदार को तरस रहा
और वो चेहरा छुपाए रखती है 
ये मसला इश्क़ का नहीं धर्मों का है
वरना चाहत तो वो भी हमसे बेशुमार रखती है l

©Story of Life

मै लाल धागे से बंधा वो काले धागे की चाह रखती है मै उसके दीदार को तरस रहा और वो चेहरा छुपाए रखती है ये मसला इश्क़ का नहीं धर्मों का है वरना चाहत तो वो भी हमसे बेशुमार रखती है l ©Story of Life

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