किसी चहरे पर निगाहें कुछ यूं अटकती हैं जैसे चलती घ | हिंदी शायरी Video

"किसी चहरे पर निगाहें कुछ यूं अटकती हैं जैसे चलती घड़ी की सुई रुकती हैं... उन्हें देख दिल जोरों से यूं धड़कता हैं जैसे आंधी से खिड़कियां खड़खड़ाती हैं... ©Rah Arav "

किसी चहरे पर निगाहें कुछ यूं अटकती हैं जैसे चलती घड़ी की सुई रुकती हैं... उन्हें देख दिल जोरों से यूं धड़कता हैं जैसे आंधी से खिड़कियां खड़खड़ाती हैं... ©Rah Arav

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