निगाहों में मंज़िल थी; गिरे और गिर कर संभलते रहे;

""निगाहों में मंज़िल थी; गिरे और गिर कर संभलते रहे; हवाओं ने तो बहुत कोशिश की; मगर चिराग आँधियों में भी जलते रहे।" वजह तुम हो -"

 "निगाहों में मंज़िल थी;
गिरे और गिर कर संभलते रहे;
हवाओं ने तो बहुत कोशिश की;
मगर चिराग आँधियों में भी जलते रहे।"

वजह तुम हो -

"निगाहों में मंज़िल थी; गिरे और गिर कर संभलते रहे; हवाओं ने तो बहुत कोशिश की; मगर चिराग आँधियों में भी जलते रहे।" वजह तुम हो -

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