"Alone तो क्यों न खैर मनाये,
ज़रा से अंधेरे से डर जाते हो तो कभी उनका सोचो जो जीते ही अंधेरे के साथ हैं,
मस्त रहीये-
फिक्री तो वेसे ही इंसान को खोखला कर देती है!"
Alone तो क्यों न खैर मनाये,
ज़रा से अंधेरे से डर जाते हो तो कभी उनका सोचो जो जीते ही अंधेरे के साथ हैं,
मस्त रहीये-
फिक्री तो वेसे ही इंसान को खोखला कर देती है!