"क्यों कांच के टुकड़ों में वो खूबसूरती खोजते हो,
जो तुम्हारी अपनी आंखों में है उनके आइनों में नही ।
क्यों अपनी बातों को बेपर्दा होने से रोकते हो,
अल्फाज़ एहसास से मापे जाते हैं उनके मायनों से नही।
- अभिषेक"
क्यों कांच के टुकड़ों में वो खूबसूरती खोजते हो,
जो तुम्हारी अपनी आंखों में है उनके आइनों में नही ।
क्यों अपनी बातों को बेपर्दा होने से रोकते हो,
अल्फाज़ एहसास से मापे जाते हैं उनके मायनों से नही।
- अभिषेक