ना शाम ओ-शहर और... | हिंदी शायरी

"ना शाम ओ-शहर और... ना ही तख्त मांगा था... मेने बस तोहफे में उनसे... कुछ वक्त मंगा था... अफसोस...😢"

 ना शाम ओ-शहर और...               
                      ना ही तख्त मांगा था...
मेने बस तोहफे में उनसे...               
                    कुछ वक्त मंगा था...

अफसोस...😢

ना शाम ओ-शहर और... ना ही तख्त मांगा था... मेने बस तोहफे में उनसे... कुछ वक्त मंगा था... अफसोस...😢

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