"मन अनंत सफर में
निकला था तुम संग
तुम दूर हुए
सब टूट गया
हमसफर बदल
लिया तुमने
और मुझसे
ये जग छूट गया
अनंत सफर में
अब भी है मन
गुमसुम अकेला सा
बस
फर्क
इतना सा है
कि
तब हर लम्हा
जिंदगी जिंदगी सी थी
अब मंजिल जैसे
बस मौत ढूंढा करती है।
🌤️सन्. "
मन अनंत सफर में
निकला था तुम संग
तुम दूर हुए
सब टूट गया
हमसफर बदल
लिया तुमने
और मुझसे
ये जग छूट गया
अनंत सफर में
अब भी है मन
गुमसुम अकेला सा
बस
फर्क
इतना सा है
कि
तब हर लम्हा
जिंदगी जिंदगी सी थी
अब मंजिल जैसे
बस मौत ढूंढा करती है।
🌤️सन्.