जैसे सूखे पत्ते बयार में वैसे दिल एक नाजिनी के प् | हिंदी Shayari

"जैसे सूखे पत्ते बयार में वैसे दिल एक नाजिनी के प्यार में बहक रहा है .. सांस- सांस दहक रहा है सांस- सांस हर घड़ी शाम ओ शहर रात दिन आठों पहर उसका ही खुमार है अजब सा ये बुखार है .. दर बदर फिरे नजर उल्फत की लहर -लहर कही वो मिले अगर महक उठे सांसों का शजर पर यही तो मलाल है वो गुम कही फिलहाल है ©Rajeev Ranjan"

 जैसे सूखे पत्ते बयार में 
वैसे दिल एक नाजिनी के प्यार में 
बहक रहा है .. सांस- सांस
दहक रहा है सांस- सांस 
हर घड़ी शाम ओ शहर 
रात दिन आठों पहर 
उसका ही खुमार है 
अजब सा ये बुखार है ..
दर बदर फिरे नजर 
उल्फत की लहर -लहर
कही वो मिले अगर 
महक उठे सांसों का शजर
पर यही तो मलाल है 
वो गुम कही फिलहाल है

©Rajeev Ranjan

जैसे सूखे पत्ते बयार में वैसे दिल एक नाजिनी के प्यार में बहक रहा है .. सांस- सांस दहक रहा है सांस- सांस हर घड़ी शाम ओ शहर रात दिन आठों पहर उसका ही खुमार है अजब सा ये बुखार है .. दर बदर फिरे नजर उल्फत की लहर -लहर कही वो मिले अगर महक उठे सांसों का शजर पर यही तो मलाल है वो गुम कही फिलहाल है ©Rajeev Ranjan

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