रुपहला वो तसव्वुर ,मुकम्मल चाँद नजर है तारो से सज | हिंदी शायरी

"रुपहला वो तसव्वुर ,मुकम्मल चाँद नजर है तारो से सजा आसमां ,यूँ चाहत की नजर है क्या दिन-रात , क्या शब - सहर वो "सूरज " मेरा वजूद , मेरा जमीर सब उनकी नजर है रुपहला वो तसव्वुर ,मुकम्मल चाँद नजर है ©advocate SURAJ PAL SINGH"

 रुपहला वो तसव्वुर ,मुकम्मल चाँद  नजर है
तारो से सजा आसमां ,यूँ चाहत की नजर है
क्या दिन-रात , क्या शब - सहर वो "सूरज "
मेरा वजूद , मेरा जमीर सब उनकी नजर है 
रुपहला वो तसव्वुर ,मुकम्मल चाँद  नजर है

©advocate SURAJ PAL SINGH

रुपहला वो तसव्वुर ,मुकम्मल चाँद नजर है तारो से सजा आसमां ,यूँ चाहत की नजर है क्या दिन-रात , क्या शब - सहर वो "सूरज " मेरा वजूद , मेरा जमीर सब उनकी नजर है रुपहला वो तसव्वुर ,मुकम्मल चाँद नजर है ©advocate SURAJ PAL SINGH

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