मैं ठहरा पतझड़ तू बसंत सि हैm. मैं बहकता सावन तू | हिंदी शायरी

"मैं ठहरा पतझड़ तू बसंत सि हैm. मैं बहकता सावन तू बरसात सि हैm. तू बूंद में बहता बादल सा हूं। मै सफर में बहता दरिया तू लहर सि है m. मैं उमस हूं गर्मियों की तू ठंडी सरद सि हैm. तू महक सी तो में धूल सा गुजरता हूं। मैं दर्द सा तो तू संगीत सि हैm. मै टूटा सा तारा तू चमक सि हैm. तू सफर है में भटकता मुसाफिर हूं तुजमे।में टूटा हुआ ख्वाब तू हसी सि हैm. मै गुजरा जमाना तू उमीद सी है M........... ©LOVSH KUMAR"

 मैं ठहरा पतझड़ तू बसंत सि हैm.  मैं बहकता सावन तू बरसात सि हैm. तू बूंद में बहता बादल सा हूं।  मै सफर में बहता दरिया तू लहर सि है m. मैं उमस हूं गर्मियों की तू ठंडी सरद सि हैm. तू महक सी तो में धूल सा गुजरता हूं। मैं दर्द सा तो तू संगीत सि हैm. मै टूटा सा तारा तू चमक सि हैm. तू सफर है में भटकता मुसाफिर हूं तुजमे।में टूटा हुआ ख्वाब तू हसी सि हैm. मै गुजरा  जमाना तू उमीद सी है M...........

©LOVSH KUMAR

मैं ठहरा पतझड़ तू बसंत सि हैm. मैं बहकता सावन तू बरसात सि हैm. तू बूंद में बहता बादल सा हूं। मै सफर में बहता दरिया तू लहर सि है m. मैं उमस हूं गर्मियों की तू ठंडी सरद सि हैm. तू महक सी तो में धूल सा गुजरता हूं। मैं दर्द सा तो तू संगीत सि हैm. मै टूटा सा तारा तू चमक सि हैm. तू सफर है में भटकता मुसाफिर हूं तुजमे।में टूटा हुआ ख्वाब तू हसी सि हैm. मै गुजरा जमाना तू उमीद सी है M........... ©LOVSH KUMAR

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