मेरे बाबा,
खुश हुँ कि अनोखा ये दिन आ गया हैं,
तेरी कृपा से सब-कुछ भा गया हैं।
मेरी आशा से बढ़कर दिया प्यार हैं,
कि तेरी फुलों से महका मेरा बाग हैं।
तेरा धन्यवाद भी मैं करु आज कैसे,
तूने नाविक को दिया हो पतवार जैसे।
यु ही सदा बनाये रहना आशिष ऐसे,
अँधेरे को आबाद करता ऊजाला हो जैसे।
©Radha Pandey
🙏🌼