किसी सहरा में महकता गुलिस्ताँ न हो जाऊँ... हर ऐब | हिंदी Poetry

"किसी सहरा में महकता गुलिस्ताँ न हो जाऊँ... हर ऐब सुधार लूँ तो फ़रिश्ता न हो जाऊँ..."

 किसी सहरा में महकता गुलिस्ताँ न हो जाऊँ...

हर ऐब सुधार लूँ तो फ़रिश्ता न हो जाऊँ...

किसी सहरा में महकता गुलिस्ताँ न हो जाऊँ... हर ऐब सुधार लूँ तो फ़रिश्ता न हो जाऊँ...

🙏🏼🙏🏼Kya likha h. #Shayar

#lightindark

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