थोड़ी नज़ाकत थोड़ी अदा
थोड़ी खुद में वफ़ा रखते हैं,
ज़माने की भीड़ में भी हम
अपना अंदाज़ जुदा रखते हैं।
कभी गुंगी गुड़िया तो कभी
आफ़त की पुड़िया कहते हैं लोग हमें
मगर सब ताने, बंदिशों को के बाद भी
हम अपने ख्वाब बड़े रखते हैं।।
©Subh
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