रोज़-रोज़ जलते हैं, फिर भी खाक़ न हुएं, अजीब हैं क | हिंदी शायरी Video

"रोज़-रोज़ जलते हैं, फिर भी खाक़ न हुएं, अजीब हैं कुछ ख़्वाब भी, बुझ कर भी राख़ न हुएं। ©Gautam Raj Hero "

रोज़-रोज़ जलते हैं, फिर भी खाक़ न हुएं, अजीब हैं कुछ ख़्वाब भी, बुझ कर भी राख़ न हुएं। ©Gautam Raj Hero

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