"आजाद था,आजाद हूँ ,आजाद ही रहूँगा मैं,
माँ भारती के सपने,पूरन करूंगा मैं।
जब तलक प्राण है,जब तलक जान है,
जान की बाजी लगाके,शान से मरूंगा मैं।
जब जब घात होगा,जब प्रतिघात होगा,
अंग्रेज हो या कोई भी,कभी न डरूँगा मैं।
अटल मेरा प्रण है,मेरा सब अर्पण है,
क्रांति ज्वाला से देश आज़ाद करूँगा मैं।
©कवि प्रदीप साहू कुँवरदादा
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